जवाहर नवोदय विद्यालय,दुधली जिला बालोद के निमंत्रण पर समाजसेवी एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.शिरोमणि माथुर का विद्यालय आगमन हुआ ।
जवाहर नवोदय विद्यालय,दुधली जिला बालोद के निमंत्रण पर समाजसेवी एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.शिरोमणि माथुर का विद्यालय आगमन हुआ, वहां उन्होंने शाला की छात्राओं को संबोधित करते हुये बालिकाओं के उज्जवल भविष्य व पढ़ाई के साथ- साथ अन्य रुचिकर विषयों जैसे- लेखन,साहित्य,संगीत,कला, कम्प्यूटर,खेलकूद,सिलाई,कढ़ाई,ड्राइंग,पेंटिंग में काम सीखने की प्रेरणा दी क्योंकि बहुत से बच्चों की रुचि पढ़ाई के साथ – साथ अन्य क्षेत्रों में होती है। कई बच्चे इन क्षेत्रों में भी भविष्य संवार सकते है।
समय के सदुपयोग पर जोर देते हुये उन्होंने कहा आपका समय कीमती है अभी कोई जिम्मेदारियां बच्चों पर नहीं है जो काम आप अभी कर सकते है वह फिर नहीं कर पायेंगे इसलिए अभी नहीं तो कभी नहीं। देश, समाज,परिवार का भविष्य बच्चों पर निर्भर है। आप जो लक्ष्य चाहते है या परीक्षा में जो नंबर लेना चाहते है उसे या तो दीवार पर लिख ले या अपनी कापी के प्रथम पेज पर लिख ले फिर प्रतिदिन उसके लिए प्रयास करते रहे तो आपको सफलता अवश्य मिलेगी। बार बार लक्ष्य दोहराने से अंतर्मन उसे स्वीकार कर लेता है और फिर उसी दिशा में मन काम करने लगता है। मन को व्यर्थ बातों से हटाकर पॉजिटिव सोचे या परमात्मा को थोड़ी देर जरूर याद करे वो भी आपको मदद करेगा क्योंकि हम सब उसके बच्चे है पिता बच्चों की सहायता अवश्य करता है।
उन्होंने बच्चों को अच्छे काम करने छंके लिये प्रेरित किया,जैसा करोगे वैसा ही पाओगे बबूल का बीज बोकर हम आम नहीं खा सकते। अच्छे कामों का फल अच्छा मिलता है इससे हमारा भला तो होता ही है,समाज का भी भला होता है।
इस अवसर पर बच्चों ने डॉ. माथुर से कुछ प्रश्न भी पूछे साहित्य की विधाओं पर भी चर्चा हुयी । बच्चों के आग्रह पर लक्ष्मण – रावण संवाद स्वरचित कविता का पाठ भी डॉ. माथुर ने किया तथा वहां की शिक्षिका आदरणीय संध्या टंडिया के आग्रह पर डॉ. माथुर ने स्वरचित रुक्मणि कृष्ण संवाद काव्य पाठ कर सभी को सुदामा और कृष्ण की मित्रता की गहन अनुभूति करायी कि किस तरह कृष्ण सुदामा के प्रेम में विहल होकर उनके पैर दबाते हुये बचपन में चने खाने का रहस्य बताते है।
इस अवसर पर जवाहर नवोदय विद्यालय की प्राचार्य श्रीमती साधना दलेला उप प्राचार्य श्री एन.पी. नामदेव सर व शाला के अन्य शिक्षक व शिक्षिकाये, छात्राएं, कु. अनादि माथुर,मनोज पाटिल, रवि निषाद उपस्थित रहे। प्राचार्य श्रीमती साधना दलेला ने डॉ. माथुर को शॉल,श्रीफल से सम्मानित किया। डॉ. माथुर ने स्वरचित पुस्तकें प्राचार्या महोदय को भेंट स्वरूप दी।